Thursday, May 28, 2009

जाने क्यु???

जाने क्यु...
दिल खुश हो रहा है,
आन्खो मे आसु है जरुर,
मंझर भी चहक रहा है.
वक्त की नजाकत ऐसी,
धडकने तेज हो रही रही है.
पत्ते भी उअतर गये शाखो से,
मौसम अंगढाई ले रहा है.
ये किसीके आने की आहट है शायद...
लेकीन कोई आने नही वाला,
ये तो बस कायनात की रीत है.
.
.
मगर जाने क्यु दिल खुश हो रहा है.

D shivaनी
Nagpoor

1 comment:

Anonymous said...

khup khup chan ! apratim!keep it up !