जब जब दुर जाते हो,
मै बौखला जाती हु...
झौका वक्त बदलता है,
जिंदगी रुठ जाती है...
बुनाई भी मालुम नही थी,
बस रिश्ता पिरोया था ,
बुनाई खुलने लगती है,
कशीदा तुट जाता है..
आंखो मे नमी होती है,
सासे भी रुठ जाती है.
मंझर ऎसे बदलता के
आसमान भी फ़ुट जाता है.....
जब जब दुर जाते हो
जीदगी रुठ जाती है........
D shivaनी
Nagpoor
No comments:
Post a Comment