कविता पण बालीश आहे तशी......
ऎ चांद बेखबर,
तुझे लग रहा है डर.
तुझसेभी खुबसुरत,
मेरा है हमसफ़र.
तु मस्त था अब तक,
आसमा के आगन मे,
नशा भी तेरा बिन्दा्स,
जोशीले आनन मे.
ना थी कोई सीमा,
ना कोई speed breaker ..
सबने नापी खुबसुरती,
तुझसे अपने चांद की.
ना कोई speed breaker ..
सबने नापी खुबसुरती,
तुझसे अपने चांद की.
किसीने कहा तारा,
तारीफ़ की चांद की.
मेरा चांद दुनिया मे
खुबसीरत मगर..........
खुबसीरत मगर..........
twist..
आऒ मै अब सुनाऊ,
ईक रोज यु हुवा था,
मै चांदनी बनी थी,
वो चांद इठला रहा था.
मैन बनी उसकी गझल,
और वो बना शायर....
ऎ चांद बेखबर.........
शेर पिरोया गया,
कैफ़ियत,अजिब थी.
किस्मत हुई बेपर्दा,
तनहाई करीब थी.
तुटे यु सपने,न जाने
लगी किसकी नजर...
ऎ चांद बेखबर........
D shivaनी
Nagpoor
ईक रोज यु हुवा था,
मै चांदनी बनी थी,
वो चांद इठला रहा था.
मैन बनी उसकी गझल,
और वो बना शायर....
ऎ चांद बेखबर.........
शेर पिरोया गया,
कैफ़ियत,अजिब थी.
किस्मत हुई बेपर्दा,
तनहाई करीब थी.
तुटे यु सपने,न जाने
लगी किसकी नजर...
ऎ चांद बेखबर........
D shivaनी
Nagpoor
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