आज फ़िर गझल सुनने को दील करता है. उसकी हर बात दोहराने को दील करता है. कुछ इस तरह जुडे ये कच्चे धागे,आज फ़िर नया सपना बुनने को दील करता है. आज फ़िर गझल सुनने को दील करता है.
Who am I is not Important,what am I going to publish and say is importnat.......i am the indicator,i am the sentiments,i am the horoscope,i am the predictions,i am the budget,I AM PUBLIC,I AM SOUL OF MONEY....
1 comment:
कुछ तो पढीये के लोग कहते है
आज गालीब गजलसरा न हुवा ।
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