Saturday, January 31, 2009

सब कहते है

सब कहते है जब मैने प्यार नही धोखा खाया है.
क्या जानते है ये सब मैने तुझसेही जींदगी को पाया है.
जब मुह फ़ेर लिया था तुने,मैन राह मे अकेली थी.
रास्ते,मोड सब रुठे,हवा भी विरुद्ध दिशा से चली थी.
पर मैने तेरे हर ना,मे खुदको तुटते हुए देखा है.
तेरे खुशिके लिये फ़िर खुदको समेट लिया है.
बिखरे तुकडो को अब बस जोडने की कोशिश है.
वही तो सही मक्सद और तौहफ़ा है मेरे लिये,
इन तुकडो मे वपस कभी तुझसे मुलाखात हो जाती है.
और मै वपस जीने की नयी राह देख पाती हु.
वैसे तो बिखर गयि हु,तुट गयी हु.
इन तुकडो मे तुझको धुंड रही हु.
जब हताश हो जाती हु कभी,
तब लगता है,के मैने धोखा खाया है.
पर जब ्तेरी नज्म सुनाई देती है तो पता चलता है
के क्या पाया है.........................

D shivaनी
nagpoor

kaahi tari navin

चालयच सवे तुझ्या,
नवी क्षीतीजे एकदा.
एकटी पडले मी,तु
फ़क्तं हो म्हण,एकदा.

पावसात प्रीतीच्या मी,
सोबत चिंब नाहील.
गाला्वरच्या थेंबांना
मग ओठांनी टीपील.

मिणमिणत्या रातीला
मिळावी स्पर्षाची उब.
त्यात माळील स्व्तःला,
वेली जाईची हुबेहुब.

D shivaनी
nagpoor